कोरोना से जंग में सफलता पाकर अपनी वैश्विक स्थिति मजबूत कर रहा है ताइवान

जॉन हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार शनिवार तक ताइवान में कोविड-19 के 440 मामले दर्ज किए गए। यहां अभी तक कोरोना से सात लोगों की मौत हुई है। ऑस्ट्रेलिया से इसकी तुलना करें तो वहां की आबादी 25 लाख है, जो ताइवान से कुछ ही ज्यादा है। ऑस्ट्रेलिया में अभी तक कोरोना के 7000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं और अब तक 98 लोगों की मौत हो चुकी है।
कोरोना से जंग में अनुभव को साझा करने के लिए ताइवान अब वैश्विक स्वास्थ्य विमर्शों में अपनी आवाज उठा रहा है। अगले सप्ताह होने वाली विश्व स्वाथ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से होने वाली सालाना विश्व स्वास्थ्य सभा में ताइवान के लिए अमेरिका, जापान और न्यूजीलैंड आदि देशों ने सहयोग के लिए आवाज उठाई है। हालांकि, चीन को यह पसंद नहीं आ रहा है।
ताइवान को अपना हिस्सा मानता है चीन
चीन ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और कई सालों से इसने ताइवान के अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेने पर रोक लगा रखी है। जबकि चीन ताइवान के साथ आधिकारिक संबंधों को बनाए रखने वाले देशों के साथ राजनयिक संबंध रखने से भी इनकार करता है।
ताइवान ने ठुकराई चीन की शर्त
ताइवान डब्ल्यूएचओ का सदस्य नहीं है। वह साल 2009 से 2016 तक प्रेक्षक के तौर पर विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) से जुड़ा था। लेकिन, जब प्रो इंडेपेंडेंस डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पाक्टी (डीपीपी) 2016 में सत्ता में आई, इसके बीजिंग से संपर्क खराब हुए और तभी से इसने डब्ल्यूएचए में हिस्सा नहीं लिया है।
चीन ने ताइवान के सामने शर्त रखी थी कि वह डब्ल्यूएचए में हिस्सा ले सकता है लेकिन उसे स्वीकार करना होगा कि वह चीन का हिस्सा है। हालांकि, ताइवान ने चीन की इस शर्त को ठुकराते हुए कहा है वह इसमें भाग लेने के लिए कोशिश करता रहेगा। ताइवान का कहना है कि जो है ही नहीं उसे कैसे स्वीकार कर लें।
ताइवान के राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने गुरुवार को ट्विटर पर लिखा, ‘हम वैश्विक स्वास्थ्य नेटवर्क में एक अभिन्न कड़ी हैं, डब्ल्यूएचओ तक अधिक पहुंच के साथ, ताइवान कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में अधिक मदद की पेशकश कर सकेगा।’ वहीं, डब्ल्यूएचओ का कहना है कि केवल सदस्य देश ही तय करते हैं कि डब्ल्यूएचए बैठक में कौन शामिल होता है।
कोरोना को लेकर चीन की होती रही है आलोचना
चीन में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या कम होने और अमेरिका व अन्य पश्चिमी लोकतांत्रिक देशों में संक्रमण के मामले बढ़ने पर चीन सरकार वायरस को हराने में अपनी तारीफ कर रहा है और दूसरे देशों की आलोचना। पिछले महीने चीन के सरकारी मीडिया ने चीन की राजनीतिक व्यवस्था को कोरोना से जंग में सबसे बड़ा हथियार करार दिया था। इसमें कहा गया था, ‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का कुशल नेतृत्व चीन के लिए उस महामारी को हराने में सबसे महत्वपूर्ण हथियार बना।’
लेकिन, ताइवान के पारदर्शी और जरूरी कदमों ने यह साबित किया है कि लोकतांत्रिक देश भी इस महामारी से जंग में जीत हासिल कर सकते हैं। ताइवान ने चीन और कई अन्य देशों की तरह देश में बहुत सख्त लॉकडाउन भी लागू नहीं किया था। में प्रतिक्रिया की विशेषता वाले सख्त लॉकडाउन के प्रकार से भी बचा था। इसके अलावा वायरस संक्रमण से निपटने के लिए उठाए गए चीन के कदमों की पूरी दुनिया में आलोचना होती रही है। हालांकि, चीन इससे लगातान इनकार करता रहा है।
