बगैर वैकल्पिक इंतजाम नहीं टूट सकती झुग्गी

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने रेलवे को जानकारी दी है कि दिल्ली स्लम व जेजे पुनर्वास व पुनर्स्थापन नीति 2015 के तहत बगैर वैकल्पिक इंतजाम किए झुग्गी बस्तियों को तोड़ा नहीं जा सकता। दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डुसुब) की तरफ से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि अगर रेलवे समेत कोई भी दूसरी केंद्रीय एजेंसी अपनी जमीन से कोई झुग्गी बस्ती हटाना चाहती है तो उसे या तो कॉलोनी के लोगों का पुनर्वास करना होगा या फिर जमीन और निर्माण के एवज में डुसुब को भुगतान करना पड़ेगा। पत्र में डुसुब ने 45,857 मकानों की लिस्ट भी रेलवे को सौंपी है, जिसे झुग्गी के लोगों को आवंटित किया जा सकता है।
इससे पहले बीते 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि दिल्ली में 140 किमी लंबे रेलवे ट्रैक के किनारे बसीं 48000 झुग्गियों को हटाया जाए। इसके लिए संबंधित एजेंसियों के पास तीन महीने का समय है। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा था कि इस मामले में किसी तरह का सियासी दखल नहीं होना चाहिए। इसी कड़ी में रेलवे झुग्गी बस्तियों में नोटिस जारी कर रहा है। इसमें दो दिन के भीतर बस्तियों को खाली करने का निर्देश दिया गया है।
