मलयेशिया, इंडानेशिया के साथ खाद्य तेल समझौता समाप्त
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ने सोमवार को कहा कि भारत का मलयेशिया और इंडोनेशिया के साथ 2010 से जारी खाद्य तेल समझौता समाप्त हो गया है, ऐसे में सरकार को सोया, सूरजमुखी और कच्चे पाम तेल पर सीमा शुल्क बढ़ाना चाहिए और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए।
साथ ही एसईए ने सरकार से घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए रिफाइंड पाम तेल या पामोलीन के आयात पर पाबंदी लगाने का आग्रह किया है। उद्योग संगठन ने देश को खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए ये कुछ अल्पकालीन सुझाव सरकार को दिए हैं।एसईए के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने एक बयान में कहा, ‘कोई भी देश अपनी सालाना खपत के करीब 70 प्रतिशत के बराबर आयात कर अपनी खाद्य तेल सुरक्षा से समझौता करने का जोखिम नहीं उठा सकता। यह स्थिति प्राथमिक आधार पर सुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत को रेखांकित करता है।’
उन्होंने कहा कि पिछले कई साल से खाद्य तेलों पर कम आयात शुल्क से हमारे किसानों की तिलहन की खेती में रुचि कम हुई है। इसमें कोई अचंभा नहीं होगा कि देश का तिलहन उत्पादन स्थिर रहे लेकिन समृद्धि के साथ खाद्य तेल की खपत में तीव्र वृद्धि हो और इसमें सालाना तीन से चार प्रतिशत की दर से वृद्धि हो रही है।’ हालांकि उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल से इस विसंगति को दूर करने का प्रयास हो रहा है।
चतुर्वेदी ने कहा कि भारत ने इंडोनेशिया और मलयेशिया के साथ 2010 में जो समझौता किया था, उससे हमारी सरकार को शुल्क बढ़ाने की अनुमति नहीं थी लेकिन अच्छी खबर यह है कि समझौते की अवधि अब समाप्त होने वाली है और भारत शुल्क दरें बढ़ाने को स्वतंत्र है।