जानें कैसे हुई महिलाओं की पसंदीदा साड़ी की डिजाइन ‘बांधनी’ की शुरूआत

जानें कैसे हुई महिलाओं की पसंदीदा साड़ी की डिजाइन ‘बांधनी’ की शुरूआत
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साड़ियों की दुनिया बिल्कुल ही अलग है। इसमें बहुत सारे प्रिंट, कपड़ों की वैराइटी और अलग-अलग तरीके के काम होते हैं। जो इन छह फुट लंबे परिधान को खास बनाते हैं। साड़ियों की बहुत सारी वैराइटी में एक वैराइटी जो गुजरात से लेकर राजस्थान और उत्तर प्रदेश के इलाकों में पसंद की जाती है। वो है बांधनी। इस खास प्रिंट की साड़ियों से लेकर चुनरी, ओढ़नी और लहंगों तक की डिमांड महिलाओं के बीच अच्छी खासी होती है। यहां तक कि बड़े डिजाइनर भी इस खास प्रिंट को अपने कलेक्शन में शामिल करते हैं। तो चलिए जानें क्या है इस खास प्रिंट का इतिहास।

बांधनी शब्द का अर्थ होता है बांधना जिसे बंधन शब्द से लिया गया है। इस खास प्रिंट की शुरूआत गुजरात राज्य में खत्रियों द्वारा की गई थी। बांधनी को बनाने के लिए कपड़े पर छोटे-छोटे गोले बनाकर अलग डिजाइन में बांध दिया जाता है और फिर कई सारे रंगों से रंग दिया जाता है।  इस खास प्रिंट को सूती, जॉर्जेट और शिफॉन के कपड़ों पर किया जाता है। बांधनी प्रिंट की खास बात है कि ये बहुत ही पुराने समय से प्रचलित है और इसके प्रमाण सिंधु घाटी सभ्यता के समय में भी मिलते हैं।

बांधनी को बहुत ही मेहनत से कई सारे लोग मिलकर तैयार करते हैं। लेकिन अगर कारीगरों की संख्या कम हो तो इसे बनाने में एक साल तक का समय लग जाता है।

कई सारे डिजाइनर तो बांधनी प्रिंट को दुल्हन के लिबास के लिए भी ट्राई कर रहे हैं और आजकल की मॉडर्न दुल्हन इसे काफी पसंद कर रही हैं। यहां तक कि ईशा अंबानी ने अपनी मां नीता अंबानी की बांधनी प्रिंट की शादी की चुनरी को अपने ब्रांड न्यू लहंगे के साथ बड़े ही स्टाइलिश अंदाज में कैरी किया था। जिससे पता चलता है कि बांधनी प्रिंट पुराने से लेकर नए तक हर किसी को पसंद आता है।

 

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