दो साल पहले बुराड़ी के इस घर में मिले थे 11 शव, अब यहां रहता है पांच लोगों का परिवार
आज से ठीक दो साल पहले एक जुलाई के दिन बुराड़ी संत नगर के एक घर में एक ही परिवार के 10 लोगों के शव फंदे से लटके पाए गए थे, जबकि घर की एक बुजुर्ग का शव जमीन पर पड़ा मिला था। एक साथ पूरे परिवार के फांसी लगाने की बात जब दुनिया के सामने आई तो हर कोई स्तब्ध था। हर कोई यही जानना चाहता था कि आखिर एक पूरे परिवार ने ये कदम क्यों उठाया। जांच आगे बढ़ती रही कई डायरियों के पन्नों में छिपे राज लोगों के सामने आने लगे। धीरे-धीरे जब चीजें सामान्य होने लगीं तो लगभग डेढ़ साल बाद इस घर में एक किराएदार रहने आया। अब उन्हें रहते हुए भी लगभग सात महीने हो गए हैं।
28 दिसंबर 2019 को इस घर में शिफ्ट हुए डॉ. मोहन सिंह का कहना है कि मुझे कोई समस्या नहीं है और यह सुविधाजनक है क्योंकि यह घर सड़क के नजदीक है। वे कहते हैं कि मैं अंधविश्वासी नहीं हूं। उन्होंने ये भी बताया कि बीते सात माह से मैं और मेरा परिवार यहां रह रहा है लेकिन आज तक कोई परेशानी नहीं हुई। फांसी घर और भूतिया घर के नाम से कुख्यात हुआ बुराड़ी का ये घर अब इसमें रहने वाले परिवार से गुलजार है। साथ ही यहां से गुजरने वाले जो लोग इस घर में आत्माओं का बसेरा या फिर भूत होने के भ्रम से डर जाते थे, अब उन्हें डर नहीं लगता। डॉक्टर परिवार के यहां बसने से जिन लोगों ने इस घर के सामने से गुजरना छोड़ दिया था, अब वो भी आराम से आते जाते हैं।
बहुत मिलनसार था भाटिया परिवार
डॉ. मोहन मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रामपुर के रहने वाले हैं। उनके परिवार में पत्नी कृष्णा और तीन बच्चे मान्या, ध्रुव और नेद्या हैं। डॉ. मोहन का कहना है कि इस घटना से पहले हम पास में ही किराए के मकान में रहते थे। मेरे बच्चे भाटिया परिवार के घर में ट्यूशन पढ़ने आते थे और परिवारवालों से काफी घुले-मिले थे। भाटिया परिवार बेहद खुशमिजाज और मिलनसार था।
डॉ. मोहन से जब पूछा गया कि क्या आपको डर नहीं लगता तो उन्होंने कहा कि लोग हमसे ऐसे सवाल अक्सर करते हैं। लेकिन कैसा और काहे का डर। हमें सात महीने हो गए यहां रहते हुए और हमें इतने समय में ऐसा-वैसा कुछ नहीं लगा। मकान के मालिक दिनेश राजस्थान से अक्सर हमें फोन कर हालचाल लेते रहते हैं। भाटिया परिवार बहुत अच्छा था और उनके इस घर में रहते हुए हमें कभी गलत महसूस नहीं हुआ। हमारा अब तक का अनुभव अच्छा ही रहा है।
मोक्ष के चक्कर में ये जिंदगियां हुईं थीं खत्म
बुराड़ी के चूंडावत परिवार में 77 वर्षीय नारायण देवी, 50 वर्षीय भावनेश, 45 वर्षीय ललित, बहन 57 वर्षीय प्रतिभा, भावनेश की 48 वर्षीय पत्नी सविता, उनके बच्चे 25 वर्षीय निधि, 23 वर्षीय मीनू, 15 वर्षीय ध्रुव, ललित की 42 वर्षीय पत्नी टीना, उनका 15 वर्षीय बेटा शिवम और 33 वर्षीय भांजी प्रिंयका मोक्ष के चक्कर में अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली थी। इनमें से 9 सदस्यों के शव फंदे पर झूल रहे थे। जबकि नारायणी देवी का शव अंदर कमरे में जमीन पर था। रसोई में तमाम तरह के व्यंजन बने हुए थे। घर में अगरबत्ती की महक थी। टेलीफोन के तार से 9 लोगों के हाथ पैर बंधे थे और मुंह व आंखों पर चुन्नी थी। यह पहला ऐसा मामला था जिसमें धारा 302 के तहत 11 सामूहिक आत्महत्याओं की तहकीकात शुरू हुई थी।