परिजनों ने कहा ऑक्सीजन न मिलने से हुईं थी मौतें
एक दिन पहले अदालत में दिल्ली पुलिस ने इस बात से साफ इनकार कर दिया कि रोहिणी के जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से किसी मरीज की मौत हुई थी। इस पर मृतकों के परिजनों ने कहा कि उन दिनों दिल्ली में सैकड़ों लोगों की मौत इलाज न मिलने और ऑक्सीजन की कमी से हुई थी लेकिन सरकार अब सब दबाने में जुटी हुई है। वहीं सरकारी कार्यवाही की आड़ लेते हुए अधिकारी झूठे रिकार्ड सामने ला रहे हैं। एरिक मैसी ने बताया कि उनकी मां डेल्फिन मैसी की जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई थी। इसके बारे में अस्पताल के निदेशक ने उन्हें स्पष्ट रुप से बताया था कि वे ऑक्सीजन समय पर नहीं दे सके क्योंकि उनके यहां टैंकर पहुंचा ही नहीं। ये सब मिलकर हमें बेवकूफ बना रहे हैं। मौत के पीछे सांस न ले पाने और हार्ट अटैक कारण बताया जा रहा है। जबकि यह तकनीकी भाषा में लिखा है।
उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच होनी चाहिए लेकिन सरकार और अधिकारियों का यह बर्ताव देख अब उम्मीद नहीं लगती कि उनकी मां को इंसाफ मिल पाएगा। मैसी ने यह भी कहा कि अस्पताल ने खुद पुलिस को बताया था कि घटना से पहले और बाद में प्रति दिन औसत मृत्यु दर क्रमश: दो और तीन थी, जो सात से आठ घंटे के भीतर बढ़कर 21 हो गई। वहीं एक अन्य परिजन नव्या ने दावा किया कि खुद डॉक्टर बलूजा ने भी कहा था कि वह इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि ऑक्सीजन की कमी ने मरीजों की मौत में भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, गोवा में भी, जहां कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी के कारण 74 लोगों की मौत हो गई थी, सरकार ने यू-टर्न ले लिया।
दरअसल दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को अदालत को बताया कि अप्रैल में जयपुर गोल्डन अस्पताल में 21 कोरोना रोगियों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई थी, ये एक ऐसा दावा है जो अस्पतालों के रुख के विपरीत है। वहीं, अस्पताल प्रबंधन ने कहा है कि अपर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति और रोगियों की मृत्यु के बीच एक संबंध था क्योंकि कई अलर्ट के बावजूद उन्हें 30 घंटे तक ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं की गई। 23-24 अप्रैल की मध्यरात्रि को 21 रोगियों की मौत हो गई।