इस बार भारत विश्व विज्ञान महोत्सव का आयोजन कोलकाता में!

इस बार भारत विश्व विज्ञान महोत्सव का आयोजन कोलकाता में!
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नई दिल्ली। भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (आईआईएसएफ) का आयोजन इस बार कोलकाता में पांच से आठ नवंबर तक किया जाएगा।  इस मौके पर विज्ञान और तकनीकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने बताया कि इस महोत्सव में 28 कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे और इसमें नेपाल, भूटान और कुछ अन्य देशों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। यह “सेलेब्रेशन ऑफ साइंस” होगा जिसमें 12 छात्र, शिक्षक और वैज्ञानिक शामिल होंगे। इस अवसर पर डॉ हर्षवर्धन ने महोत्सव का ब्रोशर भी जारी किया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन ने पत्रकारों को बताया कि इस वर्ष विज्ञान महोत्सव के स्थल कोलकाता रखने और इसे नवंबर में आयोजित करने का फैसला इसलिए लिया गया कि कोलकाता की धरती ने देश को डॉ सी वी रमन, डॉ मेघनाद साहा, सर आशुतोष मुखर्जी, आचार्य जगदीश चंद्र बसु जैसे महान वैज्ञानिक दिए हैं और सात नवंबर को डा रमन का तथा 30 नवंबर को आचार्य जगदीश चंद्र बसु का जन्मदिन है। इस बार के विज्ञान महोत्सव की थीम ‘राइजन इंड़िया’ रखी गई है जिसमें ‘रिसर्च, इनोवेशन, साइंस, एंपावरमेंट द नेशन’ की सोच को समाहित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस महोत्सव की शुरुआत 2015 से की गई थी और पहले दो विज्ञान महोत्सव राजधानी दिल्ली, तीसरा चेन्नई और चौथा 2018 में लखनऊ में आयोजित किया गया था। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने पांचवें महोत्सव के लिए सभी सांसदों से अपने-अपने क्षेत्र के पांच बच्चों तथा एक शिक्षक को हिस्सा लेने के लिए प्रोत्साहित करने को कहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नए भारत के सपने को साकार करने के लिए सभी को मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि भारत विज्ञान के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बना सके। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने कहा कि सरकार विज्ञान को प्रयोगशाला से निकालकर आम लोगों को बीच ले जा रही है जिसका उद्देश्य इसे जनांदोलन बनाना है और इस तरह के महोत्सव का उद्देश्य विज्ञान को जनांदोलन बनाना और उसे प्रयोगशालाओं से निकालकर जनता के बीच ले जाना है। इसी दिशा में सरकार काम कर रही हैंऔर इस महोत्सव का मकसद विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रुचि पैदा करना है। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि विज्ञान को एक जन आंदोलन बनाए जाने की जरूरत है और बच्चों तथा भावी पीढ़ियों में इसके प्रति रुझान पैदा करना होगा। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ियों में विज्ञान के प्रति सोच पैदा करना आवश्यक है उन्होंने कहा कि विज्ञान को प्रयोगशाला से बाहर निकाल कर इससे जुड़ी खोजों को आम जनता तथा उद्याेग जगत के लिए इस्तेमाल करने से ही उसके शोधों का सही इस्तेमाल हो सकेगा।

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