15 साल से स्टील सिटी में किसी एक दल का विधायक दोबारा नहीं जीता

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बोकारो को 1 अप्रैल 1991 में तत्कालीन धनबाद जिले के चास और चंदनकियारी और गिरिडीह जिले के बेरमो को मिलाकर जिला घोषित किया गया था. बोकारो के पूर्व में धनबाद, पश्चिम में प. बंगाल राज्य का कुछ हिस्सा, रामगढ़, दक्षिण में प. बंगाल का पुरुलिया और उत्तर में गिरिडीह, हजारीबाग है. पहले इसे मानभूम के नाम से जाना जाता था. पुरातात्विक खनन में शिलालेख, तांबे की प्लेटों या पुराने सिक्कों से इसका आधुनिक इतिहास करीब 100 साल पुराना पता चलता है. हालांकि, कहा जाता है कि मानभूम का नाम राजा मान सिंह के नाम पर पड़ा था. यह क्षेत्र उन्हें अकबर ने बतौर तोहफा दिया था. बाद में यह बीरभूम, मानभूम और सिंहभूम में विभाजित हो गया.

इतिहासकारों का यह भी मानना है कि यहां पर जैन सभ्यता भी हावी थी. ये जिक्र ह्वेन सांग की यात्रा वृतांत में है. ब्रिटिश शासन के दौरान पुरुलिया को मानभूम का मुख्यालय घोषित किया गया था. 1960 के प्रारंभ में भारत सरकार द्वारा सोवियत रूस के सहयोग से आधुनिक स्टील प्लांट की स्थापना की गई. इसके बाद बोकारो देश का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र बन गया. 1966 में बोकारो स्टील प्लांट का आधारशिला रखी गई. 1990 की शुरुआत में ओएनजीसी ने चंदनकियारी में मीथेन गैस के विशाल स्रोत की पहचान की. यहां एक बड़ा गैस संयंत्र बनाने की तैयारी में है. बोकारो स्टील प्लांट पूरी दुनिया में मशहूर है.

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