अंतिम संस्कार की लकड़ी पर भी है कोरोना का असर

अंतिम संस्कार की लकड़ी पर भी है कोरोना का असर
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कोरोना के चलते किए गए देशव्यापी लॉकडाउन में अंतिम संस्कार करने में भी लोगों की जेब काटी जा रही है। बाजार में 450 रुपये प्रति कुंतल की दर से मिलने वाली लकड़ी श्मशानघाट पर 900 रुपये कुंतल बेची जा रही है। यानी अंतिम संस्कार के लिए आने वाले लोगों को दोगुने रेट पर लकड़ी बेची जा रही है। नगर निगम के अधिकारी भी अपने अधिकार वाले इस श्मशानघाट की मॉनीटरिंग नहीं कर रहे हैं।

कविनगर क्षेत्र से भाजपा पार्षद हिमांशु मित्तल ने यह मामला उठाकर नगरायुक्त दिनेश चंद्र और महापौर आशा शर्मा से इस मामले की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है। पार्षद का कहना है कि उन्हें कई लोग शिकायत कर चुके थे कि हिंडन घाट पर लॉकडाउन के इस दौर में लोगों की जेब खाली की जा रही है।

ट्रांसपोर्टेशन बंद होने और बाजार में महंगाई आने का दावा कर श्मशानघाट पर लकड़ी को मनमाने दामों पर बेचा जा रहा है। यह हाल तब है जब नगर निगम ने समिति को नो लॉस-नो प्रॉफिट के आधार पर काम करने के लिए अधिकृत किया है। यह समिति अब लोगों की जेब से पैसा निकालने में लग गई है।

लोगों की मजबूूरी का फायदा उठाकर दोगुने दामों पर लकड़ी बेची जा रही है। यही नहीं अंतिम संस्कार कराने के नाम पर भी उनसे छह सौ रुपये और लकड़ी को प्लेटफार्म तक पहुंचाने के लिए 100 रुपये अतिरिक्त लिए जा रहे हैं।उनका कहना है कि समाज सेवा के इस काम को कुछ लोग लूट का अड्डा बनाना चाहते हैं। नगर निगम ने इस पर कार्रवाई न की तो वह सामाजिक लोगों के साथ नगर निगम पर प्रदर्शन करेंगे।

 

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