इस फिल्म ने कर दी प्रकाश झा के ब्रांड के साथ ‘राजनीति’
एक खुले मैदान में लोगों की भीड़ है। मंच पर एक महिला है। पास में एक सबसे भरोसे का आदमी है। महिला की भावनाओं का ज्वार उसकी बातों में उफान ले रहा है। वह अपने ससुर की बात कर रही है। अपने पति की बात कर रही है। अपने विधवा होने का सच सामने रख रही है और जनता से पूछ रही है कि हत्यारों का हिसाब क्या होना चाहिए। जो आपके दिमाग में ठीक अभी अभी घूमा, वही कुछ ये सीन देखकर सेंसर बोर्ड के सदस्यों के दिमाग में भी आज से 10 साल पहले घूमा था और तय ये पाया गया कि ये फिल्म सीधे-सीधे देश की एक असल महिला नेता की कहानी है। फिल्म को सेंसर सर्टिफेकट ही देने से इंकार कर दिया गया। ये फिल्म है राजनीति और 10 साल पहले इसे सिनेमाघरों तक पहुंचाने में इसके निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा को नाकों चने चबाने पड़े थे। फिल्म सिनेमाघरों तक पहुंची। कागजों पर इसने कारोबार भी अच्छा किया और यही फिल्म आज के बाइस्कोप की फिल्म है।
फिल्म राजनीति का पूरा निचोड़ अगर देखा जाए तो वह है इसमें कटरीना कैफ की दमदार अदाकारी। और दिक्कत यहां ये है कि लोगों को आदत पड़ी हुई थी कैटरीना कैफ को फिल्म रेस के गाने जरा जरा टच मी, टच मी जैसे हाव भाव के साथ देखने की। कटरीना और रणबीर कपूर की फिल्म अजब प्रेम की गजब कहानी तब रिलीज हो चुकी थी और दोनों की इस अगली फिल्म में ही दोनों के बीच रोमांटिक एंगल प्रकाश झा ने बनने नहीं दिया। एक कमाल की रोमांटिक जोड़ी को इतने अनरोमांटिक रोल में देखना ही लोगों को सहन नहीं हुआ। फिल्म में रेस्तरां का एक सीन है जहां कटरीना अपने साथ रणबीर को लेकर जाती है। शैंपेन ग्लास में डालती है और रणबीर साकी से बिना जाम टकराए ही उसे गटक जाता है।
राजनीति फिल्म में कटरीना कैफ, रणबीर कपूर के अलावा अजय देवगन, अर्जुन रामपाल, मनोज बाजपेयी, नाना पाटेकर, नसीरुद्दीन शाह जैसे सितारों की पूरी सेना है। किरदार सब एक से एक अतरंगी। लेकिन, फिल्म को सेंसर बोर्ड से बचाने के लिए प्रकाश झा को अगर महाभारत की आड़ न लेनी पड़ी होती तो ये फिल्म कुछ दूसरा ही असर कर दिखाती। ये सच है कि इस कहानी में रणबीर कपूर को जो करने को मिला, वह उनके बस का नहीं था और अजय देवगन को जो करने को मिला, वह उनके कद का नहीं था। दोनों बड़े हीरो के किरदार कमजोर निकले। फिल्म से लोगों को इतनी ज्यादा उम्मीदें थी कि इसने पहले दिन से लेकर पहले वीकएंड और पहले हफ्ते तक की कमाई के रिकॉर्ड बना दिए। लोगों को फिल्म में मजा नहीं आया और फिल्म की कमाई दूसरे हफ्ते में ही एक तिहाई पर आ गई। प्रकाश झा की ये फिल्म यूटीवी ने वितरित की। आंकड़े सब ऐसे हैं कि फिल्म सुपरहिट है लेकिन बतौर निर्देशक प्रकाश झा की उल्टी गिनती इसी फिल्म से शुरू होती है। उनके ब्रांड को इसी फिल्म ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया।
फिल्म का मूड पूरा गॉडफादर वाला था और फिल्म का ट्रीटमेंट था सुभाष घई की किसी फिल्म जैसा। टेंशन के बीच रोमांस वाली डगर के चलते फिल्म में कुछ गाने बहुत ही बेहतरीन सुनाई दिए थे। जैसे कि इरशाद कामिल का लिखा और प्रीतम का कंपोज किया मोहित चौहान और अंतरा का गाया गाना, भीगी सी भागी सी..! आदेश श्रीवास्तव का बनाया मोरा पिया मोसे बोलत नाहीं और गुलजार का लिखा धन धन धरती रे भी अच्छे बन पड़े। फिल्म का पूरा कंफ्यूजन यही है कि न प्रकाश झा इसे राम गोपाल वर्मा की सरकार जैसा बना पाए और न ही अपनी फिल्मों अपहरण, गंगाजल या मृत्युदंड जैसी पूरी तरह किसी एक मुद्दे पर फोकस करती फिल्म ही रख पाए। ये एक ऐसी राजनीतिक फिल्म रही जिस पर किसी तरह की कोई राजनीतिक बहस नहीं शुरू हुई और वो इसलिए क्योंकि फिल्म की जमीन तो सियासत थी लेकिन इसका आसमान इसकी स्टारकास्ट के विस्तार में कहीं खो गया।
वैसे कम लोगों को ही पता होगा कि प्रकाश झा की ये फिल्म बनने में पूरे छह साल लगे हैं। फिल्म के बारे में प्रकाश झा ने 2004 में पहले पहल लोगों से बात करनी शुरू की थी। तब संजय दत्त को फिल्म के हीरो के तौर पर साइन भी कर लिया गया था लेकिन फिल्म लटकी तो संजय दत्त इससे अलग हो गए। फिल्म की फाइनल कॉपी देखकर अजय देवगन को मजा नहीं आया था और इसका इजहार भी उन्होंने प्रकाश झा से तभी कर दिया था। अजय देवगन को लगा था कि प्रकाश झा की फिल्म दिल क्या करे को प्रोड्यूस करने और गंगाजल व अपहरण जैसी फिल्मों में काम करने के लिए हां करने का कुछ तो प्रकाश झा ख्याल रखेंगे लेकिन प्रकाश झा फिल्म राजनीति में पूरी तरह कटरीना कैफ और रणबीर के जादू में उलझे रहे। मनोज बाजपेयी के किरदार के साथ भी वह न्याय नहीं कर पाए। आज के बाइस्कोप में इतना ही, कल यानी पांच जून को बात करेंगे एक और ओल्डी गोल्डी की..। सिलसिला जारी है।