लॉकडाउन ने सुधार दिया प्रकृति और पर्यावरण, यमुना हुई साफ, हवा स्वच्छ

लॉकडाउन ने सुधार दिया प्रकृति और पर्यावरण, यमुना हुई साफ, हवा स्वच्छ
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यह सही है कि कोरोना वायरस के कारण दुश्वारियां बढ़ गई हैं, लेकिन वायरस पर अंकुश लगाने के लिए लगे लॉकडाउन ने प्रकृति की सेहत अप्रत्याशित ढंग से सुधारी है। दिल्ली की आबोहवा में भी काफी सुधार हुआ है।

इसकी वजह सड़कों पर गाड़ियों का न के बराबर चलना और कारखानों का बंद रहना है। इससे प्रदूषित तत्व और गैस में भारी गिरावट दर्ज की गई। यही कारण है कि पिछले 60 दिनों में लोगों को प्रकृति का नया रंग रूप देखने को मिला।
22 मार्च को शुरू हुए जनता कर्फ्यू से ही दिल्ली की आबोहवा में सुधार दिखना शुरू हो गया था। इसे लेकर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, पीएम 2.5 (हवा में घुलने वाला पदार्थ) में 46 फीसदी और पीएम10 (इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं) में 50 फीसदी कमी दर्ज की गई। वहीं, सल्फर डाइआक्साइड का स्तर 50 फीसदी और कार्बन मोनोऑक्साइड के स्तर में 56 फीसदी की कमी दर्ज की गई।

प्रदूषित हॉटस्पॉट से जुटाए आंकड़े
दिल्ली की आबोहवा में सुधार के आंकड़े जुटाने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली के 13 प्रदूषित हॉटस्पॉट को चुना। इसमें आनंद विहार में पीएम2.5 का स्तर 62 फीसदी, पीएम10 का स्तर 69 फीसदी और नाइट्रोजन डाइआक्साइड का स्तर 72 फीसदी मापा गया। जीटी रोड के नजदीक विवेक विहार जहां अधिक ट्रैफिक रहता है इस केंद्र पर नाइट्रोजन डाइआक्साइड में 60 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। औद्योगिक क्षेत्र ओखला में भी नाइट्रोजन डाइआक्साइड के स्तर में 72 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।

साफ हुआ यमुना का पानी
आम दिनों में कारखानों से निकलने वाले केमिकल और गंदे पानी की वजह से मैला रहने वाला यमुना का आंचल भी लॉकडाउन में साफ दिखा। यही नहीं दिल्ली के कुछ इलाकों में कई लोग यमुना के पानी को पीते हुए भी दिखे।

दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) की स्थिति

दिनांक     प्रदूषण का स्तर
16 मार्च      139
17 मार्च      157
18 मार्च      151
19 मार्च      186
20 मार्च     192
21 मार्च      186
22 मार्च      191
23 मार्च      124
24 मार्च     122
25 मार्च      77
26 मार्च      92
27 मार्च      69
28 मार्च      45
29 मार्च      62
30 मार्च       71
31मार्च         76

(नोट : आंकड़े केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार हैं)

 

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