एक परिवार तीन जगह फंसा, गांव में अकेली है बीमार मां

एक परिवार तीन जगह फंसा, गांव में अकेली है बीमार मां
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भूपेंद्र राम रुद्रपुर से तीन दिन तक पैदल चला, 157 किमी की दूरी तय भी की, फिर भी अपने गांव पिथौरागढ़ जिले के घिगरानी पहुंचने में नाकाम रहा। उसे गांव में अकेली रह रही बीमार मां की सेवा करनी थी, मगर गांव नहीं पहुंच सका।
चंपावत के बनलेख में पूछताछ और स्क्रीनिंग के बाद उसे राहत शिविर भेज दिया गया। मां गांव में अकेली, बेटा राहत शिविर में, तो बहू चकरपुर ससुराल में फंसी है। यह शख्स राहत शिविर में रह रहे दूसरे लोगों से बार-बार इस बात को कह परेशान हो रहा है। पिथौरागढ़ जिले के घिगरानी गांव का भूपेंद्र राम (35) रुद्रपुर के बिग बाजार में काम करता है। 22 मार्च से जारी लॉकडाउन के बाद वह रुद्रपुर में ही रुका रहा। वेतन और बचे रुपये इस दौरान खाने में खर्च हो गए।

पत्नी लॉकडाउन से पहले चकरपुर ससुराल गई और वह वहीं फंसी रह गई। पत्नी से पता चला कि मां से संपर्क नहीं हो पा रहा है, तो चिंतित भूपेंद्र ने रुद्रपुर में काम करने वाले चंपावत जिले के एक और व्यक्ति पीतांबर जोशी के साथ 23 अप्रैल को पैदल ही पहाड़ की ओर रुख कर दिया।

भूपेंद्र बताता है कि रास्ते में दो जगह पूछताछ हुई, लेकिन गुजारिश करने पर रहम खाकर उन्हें आगे बढ़ने दिया गया। बनबसा और सिन्याड़ी में दो रात काटने के बाद 25 अप्रैल को चंपावत पहुंचने वाले थे कि नौ किमी. पहले बनलेख में दबोच लिए गए। स्क्रीनिंग के बाद पीतांबर को होम क्वारंटीन और भूपेंद्र को राहत शिविर भेज दिया गया।

भूपेंद्र बताता है कि मां देवकी देवी (68) बीमार है। घर में कोई नहीं होने से वह अकेली है। मोबाइल सिग्नल ठीक नहीं होने से मां की सेहत को लेकर बात भी नहीं हो पाई है।राहत शिविर में रह रहे अन्य मजदूर कहते हैं कि भूपेंद्र बार-बार मां की सेहत को लेकर परेशान रहता है और इसका जिक्र करता है।अपनी व्यथा को वह शिविर में आने वाले कई लोगों से भी कह चुका है। इधर, डीएम सुरेंद्र नारायण पांडेय का कहना है कि मामले को देखा जाएगा। जो भी उचित होगा, किया जाएगा।

 

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