दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध के बीच सरकार ने खरीदा रिकॉर्ड गेहूं

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध के बीच सरकार ने खरीदा रिकॉर्ड गेहूं
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केंद्र ने कहा कि उसने अप्रैल में शुरू हुए मौजूदा विपणन वर्ष में अब तक रिकॉर्ड 418.47 लाख टन गेहूं खरीदा है जिस पर 82,648 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। नवंबर 2020 के अंत से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों के विरोध के बीच गेहूं की रिकॉर्ड खरीद हासिल की गई है। किसान संघ तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दिए जाने की मांग कर रहे हैं। रबी विपणन सत्र अप्रैल से मार्च तक चलता है लेकिन अधिकांश खरीद जून में होती है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2021-22 के चालू रबी चिपणन सत्र के तहत गेहूं की खरीद एमएसपी पर सुचारू रूप से अभी जारी है, जैसा कि पिछले सत्रों में भी किया गया था।’

आठ जून तक 418.47 लाख टन हुई गेहूं की खरीद
गेहूं की खरीद आठ जून तक 418.47 लाख टन की हो चुकी है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 373.22 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। बयान में कहा गया कि लगभग 82,648.38 करोड़ रुपये के एमएसपी मूल्य पर चल रहे खरीद अभियान से लगभग 46 लाख किसान पहले ही लाभान्वित हो चुके हैं। खरीद पूरे 2020-21 विपणन वर्ष में हासिल किए गए 389.92 लाख टन के पिछले उच्च स्तर को पार कर गई है। सरकारी स्वामित्व वाली संस्था भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) खाद्यान्नों की खरीद और वितरण के लिए प्रमुख एजेंसी है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत, केंद्र लगभग 80 करोड़ लोगों को प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलो गेहूं और चावल की बिक्री दो-तीन रुपये प्रति किलोग्राम की अत्यधिक रियायती दर पर करता है। कोविड संकट के दौरान लोगों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराए जाने की भी घोषणा की गई है। ज्ञात हो कि सीसीईए ने फसल वर्ष 2021-22 के दौरान धान का एमएसपी 72 रुपये प्रति कुंतल बढ़ाकर 1,940 रुपये प्रति कुंतल कर दिया। इसी तरह, बाजरे का एमएसपी चालू वर्ष के लिए पिछले वर्ष के 2,150 रुपये से बढ़ाकर 2,250 रुपये प्रति कुंतल किया गया है।

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