अमेरिका की तालिबान को चेतावनी
अमेरिका ने तालिबान को चेताया कि मानवाधिकारों का सम्मान न करने वाली कोई भी सरकार, जो बंदूक के बल पर शासन की कोशिश करेगी, उसकी अंतरराष्ट्रीय वैधता कम होगी।तालिबान के अफगानिस्तान में दर्जनों जिलों पर कब्जा करने के बाद अब माना जा रहा है कि देश का एक तिहाई हिस्सा उनके कब्जे में हैं। जबकि एक समझौते के तहत अमेरिका तालिबान को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।बता दें कि अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी इस शर्त पर अफगानिस्तान से सैनिक बुलाने पर सहमत हुए हैं कि तालिबान चरमपंथी समूहों को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में संचालन करने से रोकेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि हमारा मानना है कि सिर्फ बातचीत के माध्यम से हासिल समाधान ही 40 साल के संघर्ष को खत्म कर सकता है। हम तालिबान से आग्रह करते हैं कि वह संयुक्त घोषणा में दी गई प्रतिबद्धता को बनाए रखे, अफगानिस्तान के बुनियादी ढांचे की रक्षा करे, नागरिकों की हिफाजत करे और मानवीय सहायता में सहयोग दे। उन्होंने कहा, हम दोनों पक्षों के साथ काम करना जारी रखेंगे।
बता दें कि तालिबान दिन-रात अफगानिस्तान में प्रभाव बढ़ाने में लगा है। भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबानी वहां गावों, कस्बों में प्रभावी रूप में दिखाई दे रहे हैं और कारोबार, व्यापार के रूट पर कब्जा करने की उनकी कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बयान को भी देश में गहराते संकट के रूप में देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में तालिबान और अफगान सेना के बीच में जंग से हालात कुछ जटिल हो सकते हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी इस स्थिति से इनकार नहीं कर रहे हैं।