उत्तरकाशी के पहाड़ों में नीलकुरिंजी फूलों की बहार, 12 सालों में एक बार खिलता है ये फूल

उत्तरकाशी के पहाड़ों में नीलकुरिंजी फूलों की बहार, 12 सालों में एक बार खिलता है ये फूल
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उत्तरकाशी

प्रकृति ने इस धरा पर अजीबोगरीब चीजों का निर्माण किया है और कई बार बारीकियों व प्रकृति के रहस्यों को समझने में विज्ञान भी असफल रहता है। विशेषकर भारत और खासतौर पर उत्तराखंड पर प्रकृति कुछ ज्यादा ही मेहरबान रहती है। उत्तराखंड को प्रकृति ने एक से एक अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य दिए हैं, इसीलिए उत्तराखंड को देवभूमि व पहाड़ों व नदियों, बुग्यालों का प्रदेश भी कहा जाता है। उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में आजकल अधिकांश पहाड़ों में जंगली नीले रंगों के फूलों की बहार है। चारों ओर पहाड़‍ियां ही पहाड़ियां, ऊपर नीला आसमान सुहाना मौसम और पहाड़ पर बिछी है नीले रंगों के फूलों की चादर।

उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिंगोट बरसाली में आजकल नीलकुरिंजी के फूलों के ख‍िलने का सिलसिला शुरू हो रखा है जिसे स्थानीय भाषा मे अडगल कहते हैं। ये फूल हर 12 साल एक बार में खिलते हैं। नीलकुरिंजी के फूलों का मौसम जुलाई से आख‍िर अक्टूबर तक रहता है। अक्टूबर के शुरुआती दिनों तक उत्तराखंड की अधिकांश पहाड़ियां नीली हो जाती हैं। आस-पास दिखने वाली हर पहाड़ी नीले फूलों से सज चुकी होती है। इस फूल का वानस्पतिक नाम स्ट्रोबिलैन्थस कुन्थियाना है। बता दें कि केरल के मुन्नार में यही नीलकुरिंजी के फूल वर्ष 2006 में खिले थे। देश के केरल राज्य ने इस प्राकृतिक फूल के दीदार करने के लिए दुनियाभर से पर्यटकों को अपने यहां आकर्षित करने की ठोस योजना बना रखी है।

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