वोडाफोन ने भारत में अपने भविष्‍य पर कहा- बिना सरकारी राहत के काम करना होगा मुश्किल

वोडाफोन ने भारत में अपने भविष्‍य पर कहा- बिना सरकारी राहत के काम करना होगा मुश्किल
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वोडाफोन ग्रुप के सीईओ निक रीड के यह कहने पर भारत में उनकी कंपनी का भविष्य अधर में लटका हुआ है, ग्राहकों में चिंता उपजने लगी है। उन्होंने लाइसेंस फी और स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज के तौर पर करीब 40 हजार रुपए की देनदारी के संदर्भ में कहा कि कंपनी की स्थिति नाजुक है। रीड ने सरकार से राहत नहीं मिलने पर भारत में अपने जॉइंट वेंचर को लेकर भी चेतावनी दी। अंग्रेजी अखबार मिंट के मुताबिक, रीड ने यह भी कहा कि अगर इस देनदारी पर सरकार से राहत नहीं मिलेगी तो ब्रिटिश टेलिकॉम ग्रुप भारत में अपनी कंपनी बेच सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वोडाफोन के ग्राहकों के सामने सचमुच कोई परेशानी खड़ी हो सकती है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए कंपनी के ग्रुप सीईओ निक रीड के पूरे बयान को सही संदर्भ में देखना जरूरी है।
रीड ने भारत में वोडाफोन की स्थिति पर कहा, ‘बड़ी मुश्किल घड़ी है।’ जब उनसे पूछा गया कि क्या रिलीफ पैकेज नहीं मिलने पर कंपनी के भारत में रहने का कोई तुक है, तो उन्होंने कहा, ‘सरकार ने कहा है कि वह भारत में इस क्षेत्र में किसी एक कंपनी का दबदबा नहीं चाहती।’ उन्होंने कहा कि सरकारी नीतियों, अधिक टैक्स और अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण टेलिकॉम कंपनियों पर वित्तीय बोझ बढ़ गया है और भारत वोडाफोन के लिए लंबे समय से चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
ब्रिटिश टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन की सितंबर तिमाही के रिजल्ट पेश करते हुए रीड ने कहा कि 40 हजार करोड़ रुपए की देनदारी वाले सुप्रीम कोर्ट के हाल के आदेश के बाद देश की टेलिकॉम कंपनियों पर हजारों करोड़ की देनदारी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि वोडाफोन ग्रुप एक साल पुरानी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) में अब और निवेश नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि अजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ब्रिटिश फर्म ने जॉइंट वेंचर में निवेश की वैल्यू घटाकर शून्य कर दी है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्रिटिश कंपनी के शेयर प्राइस में भारतीय जॉइंट वेंचर कोई योगदान नहीं कर रही है।
वोडाफोन ने सरकार से राहत पैकेज की मांग की है जिसमें 2 साल के स्पेक्ट्रम पेमेंट को खत्म करने, लाइसेंस फी और टैक्सों को कम करने, सुप्रीम कोर्ट वाले मामले में ब्याज और जुर्माने को माफ करने की मांग शामिल है। उधर, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रभावित टेलिकॉम कंपनियां सरकार से राहत की मांग के साथ-साथ कानूनी रास्ते भी तलाशने में जुटी है। खबर है कि वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल इस हफ्ते एक रिव्यू पिटीशन डालने वाली हैं, जिसमें जुर्माने और बकाये पर लगे ब्याज में कमी की मांग की जा सकती है। साथ ही नॉन कोर आइटम्स के कुछ कंपोनेंट्स पर सवाल भी उठाए जा सकते हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक टेलिकॉम कंपनियों के अजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू की गणना में शामिल किया जाना चाहिए।

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